
न तुम मेरे न दिल मेरा न जान-ए-ना-तवाँ मेरी
तसव्वुर में भी आ सकतीं नहीं मजबूरियाँ मेरी
*जान-ए-ना-तवाँ=कमज़ोर जान
न तुम आए न चैन आया न मौत आई शब-ए-व'अदा
दिल-ए-मुज़्तर था मैं था और थीं बे-ताबियाँ मेरी
*शब-ए-व'अदा=वादे की रात; दिल-ए-मुज़्तर=बेताब दिल
अबस नादानियों पर आप-अपनी नाज़ करते हैं
अभी देखी कहाँ हैं आप ने नादानियाँ मेरी
*अबस=बेकार
ये मंज़िल ये हसीं मंज़िल जवानी नाम है जिस का
यहाँ से और आगे बढ़ना ये उम्र-ए-रवाँ मेरी
*उम्र-ए-रवाँ=गुजराती हुई ज़िंदगानी
~ फ़ैयाज़ हाशमी
Jan 7, 2013| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
No comments:
Post a Comment