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Monday, March 30, 2015

हम कब शिकवा-ए-बेदाद करते है



सितमगर तुझसे हम कब शिकवा-ए-बेदाद करते है
हमें फरियाद की आदत है, हम फरियाद करते है
*सितमगर=जुल्म करने वाला, शिकवा-ए-बेदाद=जुल्म की शिकायत

हवाओ ! एक पल के वास्ते लिल्लाह रुक जाओ
वो मेरी अर्ज़ पर धीमे से कुछ इरशाद करते है
*अर्ज़=विनती, इरशाद=फरमाना

किया होगा कभी आदम को सिजदा कहने-सुनने से
फ़रिश्ते अब कहा परवा-ए-आदमजाद करते है
*आदम=पैगम्बर हजरत आदम, आदमजाद=इंसान

हमें ए दोस्तों ! चुपचाप मर जाना भी आता है
तड़प कर एक ज़रा दिलजोई-ए-सैयाद करते है
*दिलजोई=दिल बहलाना, सैयाद=शिकारी

बहुत सादा-सा है कैफ अपने ग़म का अफसाना
वो हमको भूल बैठे है, जिन्हें हम याद करते है

~ सरस्वती सरन 'कैफ़'


   Jan 25, 2013| e-kavya.blogspot.com
   Submitted by: Ashok Singh

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