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Monday, March 30, 2015

कहाँ आके रुकने थे रास्ते

 
कहाँ आके रुकने थे रास्ते, कहाँ मोड़ था उसे भूल जा,
वो जो मिल गया उसे याद रख, जो नहीं मिला उसे भूल जा।

वो तेरे नसीब की बारिशें किसी और छत पे बरस गई,
दिल-ए-बेखबर मेरी बात सुन, उसे भूल जा उसे भूल जा।

मैं तो गुम था तेरे ही ध्यान में, तेरी आस तेरे गुमान में,
हवा कह गई मेरे कान में, मेरे साथ आ उसे भूल जा।


तुझे चाँद बन के मिला था जो, तेरे साहिलों पे खिला था जो,
वो था एक दरिया विसाल का, सो उतर गया उसे भूल जा।
*विसाल=मिलन

~ अमज़द इस्लाम अमज़द


   Feb 22, 2013| e-kavya.blogspot.com
   Submitted by: Ashok Singh

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