
चैन से रहने का हमको मशवरा मत दीजिये
अब मज़ा देने लगी हैं ज़िंदगी की मुश्किलें
कुछ नहीं होगा अंधेरों की शिकायत से जनाब
जानिये ये भी कि क्या हैं रौशनी की मुश्किलें
रोज़ उठने बैठने की साथ में मजबूरियां
वर्ना कोई कम नहीं हैं दोस्ती की मुश्किलें
~ अशोक रावत
Feb 9, 2015| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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