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Monday, March 30, 2015

हमको मशवरा मत दीजिये



चैन से रहने का हमको मशवरा मत दीजिये
अब मज़ा देने लगी हैं ज़िंदगी की मुश्किलें

कुछ नहीं होगा अंधेरों की शिकायत से जनाब
जानिये ये भी कि क्या हैं रौशनी की मुश्किलें

रोज़ उठने बैठने की साथ में मजबूरियां
वर्ना कोई कम नहीं हैं दोस्ती की मुश्किलें

~ अशोक रावत


   Feb 9, 2015| e-kavya.blogspot.com
   Submitted by: Ashok Singh

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