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Monday, March 30, 2015

सुन ली जो ख़ुदा ने वो



सुन ली जो ख़ुदा ने वो दुआ तुम तो नहीं हो
दरवाज़े पे दस्तक की सदा, तुम तो नहीं हो

सिमटी हुई शर्माई हुई रात की रानी
सोई हुई कलियों की हया, तुम तो नहीं हो

महसूस किया तुम को तो गीली हुई पलकें
भीगे हुये मौसम की अदा, तुम तो नहीं हो

इन अजनबी राहों में नहीं कोई भी मेरा
किस ने मुझे यूँ अपना कहा, तुम तो नहीं हो

~ बशीर बद्र


   Feb 14, 2013| e-kavya.blogspot.com
   Submitted by: Ashok Singh

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