
यारों से मुंह को मोड़ना कुछ तो ख़याल कर
बरसों की यारी तोड़ना कुछ तो ख़याल कर
अपनों से गांठ तोड़ना यूं ही सही मगर
गैरों से गांठ जोड़ना कुछ तो ख़याल कर
जग का ख़याल कर भले ही रात दिन मगर
घर का ख़याल छोड़ना कुछ तो ख़याल कर
उनके भी दिल धड़कते हैं दिल की तरह तेरे
नित डालियां झंझोड़ना कुछ तो ख़याल कर
माना कि ज़िन्दगी से परेशान है तू पर
पत्थर से सर को फोड़ना कुछ तो ख़याल कर
हाथों में तेरा हाथ लिया है किसी ने 'प्राण'
झटका के हाथ दौड़ना कुछ तो ख़याल कर
~ प्राण शर्मा
Jan 4, 2013| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
Submitted by: Ashok Singh
No comments:
Post a Comment