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Tuesday, March 31, 2015

यारों से मुंह को मोड़ना



यारों से मुंह को मोड़ना कुछ तो ख़याल कर
बरसों की यारी तोड़ना कुछ तो ख़याल कर

अपनों से गांठ तोड़ना यूं ही सही मगर
गैरों से गांठ जोड़ना कुछ तो ख़याल कर

जग का ख़याल कर भले ही रात दिन मगर
घर का ख़याल छोड़ना कुछ तो ख़याल कर

उनके भी दिल धड़कते हैं दिल की तरह तेरे
नित डालियां झंझोड़ना कुछ तो ख़याल कर

माना कि ज़िन्दगी से परेशान है तू पर
पत्थर से सर को फोड़ना कुछ तो ख़याल कर

हाथों में तेरा हाथ लिया है किसी ने 'प्राण'
झटका के हाथ दौड़ना कुछ तो ख़याल कर

~ प्राण शर्मा


   Jan 4, 2013| e-kavya.blogspot.com
   Submitted by: Ashok Singh

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