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Tuesday, March 31, 2015

तुम्हारी आँख में सपना नहीं है

 

तुम्हें कल की कोई चिन्ता नहीं है
तुम्हारी आँख में सपना नहीं है।

ग़लत है ग़ैर कहना ही किसी को
कोई भी शख्स जब अपना नहीं है।

सभी को मिल गया है साथ ग़म का
यहाँ अब कोई भी तनहा नहीं है।

बँधी हैं हर किसी के हाथ घड़ियाँ
पकड़ में एक भी लम्हा नहीं है।

मेरी मंज़िल उठाकर दूर रख दो
अभी तो पाँव में छाला नहीं है।

~ ओमप्रकाश यती


  Jan 2, 2013| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

2 comments:

  1. आज हाथ छुङा कर चल दिये ऐसे
    कभी मिलने की हसरत गवाँ बैठे हम

    - Alkendra Singh

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  2. ग़लत है ग़ैर कहना ही किसी को
    कोई भी शख्स जब अपना नहीं है।

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