
गोस्वामी तुलसीदास ने अपने जीवनकाल में श्रीरामचरितमानस, हनुमान चालीसा, विनयपत्रिका, दोहावली, कवितावली आदि अनेक ग्रंथों की रचना की। वे संस्कृत के विद्वान और हिंदी के सर्वश्रेष्ठ कवि माने जाते हैं।
श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि।।
जब तें रामु ब्याहि घर आए। नित नव मंगल मोद बधाए।।
भुवन चारिदस भूधर भारी। सुकृत मेघ बरषहि सुख बारी।। १ ।।
रिधि सिधि संपति नदीं सुहाई। उमगि अवध अंबुधि कहुँ आई।।
मनिगन पुर नर नारि सुजाती। सुचि अमोल सुंदर सब भाँती।। २ ।।
कहि न जाइ कछु नगर बिभूती। जनु एतनिअ बिरंचि करतूती।।
सब बिधि सब पुर लोग सुखारी। रामचंद मुख चंदु निहारी।। ३।।
मुदित मातु सब सखीं सहेली। फलित बिलोकि मनोरथ बेली।।
राम रूपु गुनसीलु सुभाऊ। प्रमुदित होइ देखि सुनि राऊ।। ४।।
सब कें उर अभिलाषु अस कहहिं मनाइ महेसु।
आप अछत जुबराज पद रामहि देउ नरेसु।।१।।
~ गोस्वामी तुलसीदास
Feb 1, 2013| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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