
अच्छा जो खफा हम से हो तुम ए सनम अच्छा
लों हम भी न बोलेंगे खुदा की कसम अच्छा
गमी ने कुछ आग और ही सीने में लगा दी
हर तौर गरज आप आप से मिलना है कम अच्छा
अगयार से करते हो मिरे सामने बाते
मुझ पर ये लगे करने तुम सितम अच्छा
*अगयार=गैरो
कह कर गए, आता हू कोई दम में, मै तुम पास
फिर दे चले कल की सी तरह मुझ को दम अच्छा
इस हस्ती-ए-मौहूम से मै तंग हू इंशा
वल्लाह कि इस से बमरातिब अदम अच्छा
*हस्ती-ए-मौहूम=बेमतलब जीवन, बमरातिब=तुलना या मुकाबले में,
अदम=अपेक्षा, आसरा, प्रतीक्षा
~ इंशा अल्लाह खाँ इंशा
Dec 14, 2012| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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