आज धरती पर झुका आकाश तो अच्छा लगा
सिर किये ऊँचा खड़ी है घास तो अच्छा लगा
आज फिर लौटा सलामत राम कोई अवध में
हो गया पूरा कड़ा बनवास तो अच्छा लगा
लोग यों तो रोज़ ही आते रहे, आते रहे
लेकिन, आप आये पास तो अच्छा लगा
है नहीं कुछ और बस इंसान तो इंसान है
है जगा यह आपमें अहसास तो अच्छा लगा
आ गया हूँ बाद मुद्दत के शहर से गाँव में
आज देखा चँदनी का हास तो अच्छा लगा
दोस्तों की दाद तो मिलती ही रहती है सदा
आज दुश्मन ने कहा–शाबाश तो अच्छा लगा
~ रामदरश मिश्र
April 20, 2013 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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