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Saturday, November 29, 2014

आज धरती पर झुका आकाश



आज धरती पर झुका आकाश तो अच्छा लगा
सिर किये ऊँचा खड़ी है घास तो अच्छा लगा

आज फिर लौटा सलामत राम कोई अवध में
हो गया पूरा कड़ा बनवास तो अच्छा लगा

लोग यों तो रोज़ ही आते रहे, आते रहे
लेकिन, आप आये पास तो अच्छा लगा

है नहीं कुछ और बस इंसान तो इंसान है
है जगा यह आपमें अहसास तो अच्छा लगा

आ गया हूँ बाद मुद्दत के शहर से गाँव में
आज देखा चँदनी का हास तो अच्छा लगा

दोस्तों की दाद तो मिलती ही रहती है सदा
आज दुश्मन ने कहा–शाबाश तो अच्छा लगा

~ रामदरश मिश्र


  April 20, 2013 | e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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