जनम-जनम की पहचानी वह तान कहाँ से आई !
किसने बाँसुरी बजाई
अंग-अंग फूले कदंब साँस झकोरे झूले
सूखी आँखों में यमुना की लोल लहर लहराई !
किसने बाँसुरी बजाई
जटिल कर्म-पथ पर थर-थर काँप लगे रुकने पग
कूक सुना सोए-सोए हिय मे हूक जगाई !
किसने बाँसुरी बजाई
मसक-मसक रहता मर्मस्थल मरमर करते प्राण
कैसे इतनी कठिन रागिनी कोमल सुर में गाई !
किसने बाँसुरी बजाई
उतर गगन से एक बार फिर पी कर विष का प्याला
निर्मोही मोहन से रूठी मीरा मृदु मुस्काई !
किसने बाँसुरी बजाई
~ जानकीवल्लभ शास्त्री
April 7, 2013 | e-kavya.blogspot.com
Ashok Singh
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