इस खौफ़ से उठने नहीं देता वो कोई सर
हम ख्वाइशें अपनी कहीं मीनार न कर दें
मुश्किल से बचाई है जो एहसास की दुनिया
इस दौर के रिश्ते उसे बाज़ार न कर दें
ये सोच के नज़रें वो मिलाता ही नहीं है
आँखें कहीं ज़ज्बात का इज़हार न कर दें
~ सत्य प्रकाश शर्मा
May 16, 2013 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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