तुम्हारा दिल मेरे दिल के बराबर हो नहीं सकता
वह शीशा हो नहीं सकता यह पत्थर हो नहीं सकता
कभी नासेह की सुन लेता हु फिर बरसो तडपता हु
कभी होता है मुझसे सब्र अकसर हो नहीं सकता
यह मुमकिन है कि तुझ पर हो भी जाये अख्तियार अपना
मगर काबू हमारा अपने दिल पे हो नहीं सकता
जफ़ाए झेल कर आशिक करे माशूक को जालिम
वगरना बेसबब कोई सितमगर हो नहीं सकता
जफ़ाए दाग पर करते है वह यह भी समझते है
की ऐसा आदमी मुझको मय्यसर हो नहीं सकता
~ दाग देहलवी
Apr 11, 2013|e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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