न दे सबूत न दावा करे मगर मुझको
सज़ा से पहले वो इल्ज़ाम तो बताया करे
लड़ी सितारों की लाता है कौन किसके लिए
मुझे जो चाहे वो फूलों के हार लाया करे
नहीं है दोस्त के कपड़ों में वो अगर दुश्मन
मिरा मज़ाक़ मेरे सामने उड़ाया करे
अगर वो दोस्त है मेरा, तो टूट जाय जहाँ
वहां से वो मिरी आवाज़ फिर उठाया करे
~ प्रियदर्शी ठाकुर 'ख़याल'
May 9, 2013 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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