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Friday, November 28, 2014

ये एहतिमाम-ए-चराग़ाँ


ये एहतिमाम-ए-चराग़ाँ बजा सही लेकिन
सहर तो हो नहीं सकती दिए जलाने से

*एहतिमाम-ए-चराग़ाँ=दियों का क्रम से स्थापन

~ बशर नवाज़
 
   May 25, 2013 | e-kavya.blogspot.com
   Submitted by: Ashok Singh 

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