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Saturday, November 29, 2014

मैं चाहता हूं निज़ाम-ए-कुहन

मैं चाहता हूं निज़ाम-ए-कुहन बदल डालूं
मगर ये बात फक़त मेरे बस की बात नहीं
उठो बढ़ो मेरी दुनिया के आम इंसानों
ये सब की बात है दो-चार दस की बात नहीं

~ ताज 'भोपाली'

   March 13, 2013 | e-kavya.blogspot.com
   Ashok Singh

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