ये दिन ये रात ये लम्हे मुझे अच्छे से लगते हैं
तुम्हें सोचूँ तो सारे सिलसिले अच्छे से लगते हैं
बहुत दूर तलक चलना, मगर फिर भी वहीं रहना
मुझे तुम से तुम तक के फासले अच्छे से लगते हैं
~ नामालूम
March 16, 2013 | e-kavya.blogspot.com
Ashok Singh
तुम्हें सोचूँ तो सारे सिलसिले अच्छे से लगते हैं
बहुत दूर तलक चलना, मगर फिर भी वहीं रहना
मुझे तुम से तुम तक के फासले अच्छे से लगते हैं
~ नामालूम
March 16, 2013 | e-kavya.blogspot.com
Ashok Singh
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