हम भी होली खेलते जो होते अपने देश
हम भी होली खेलते जो होते अपने देश
विधि ने ऐसा वैर निकला भेज दिया परदेश
भेज दिया परदेश लेकिन भेजी न सोगातें
अपने हिस्से में बस आई भूली बिसरी बातें
यहाँ तो होली शनि रवि को शनि रवि दीवाली रातें
बासी रोटी बर्फ निवाले नाचें तब जब विदा बारातें
अनुमति लेकर रंग लगाना, ये भी कोई रंग लगाना
बांच के रंग की जन्मपत्री ,डरे डरे से हाथ बढ़ाना
फीसें दे दे नाच सीखना, नपा तुला सा पैर उठाना
जड़ों से हम भी जुड़े जुड़े हैं ,सोच के स्वंय को धीर बंधाना
होली की सौगात तुम्हे शुभ, रंग हमारा भी ले लेना
रहे बधाई दीवाली की, दीप भी तेरा तेरी रैना
राम वहां बनवास से आयें ,हम भी दीपक यहाँ जलायें
भेजो कुछ हुडदंग की पाती ,हम भी सुन सुन रंग में आयें
~ अमिता तिवारी
March 26, 2013 | e-kavya.blogspot.com
Ashok Singh
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