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Saturday, November 29, 2014

ज़िन्दगी से यही ग़िला है मुझे



ज़िन्दगी से यही ग़िला है मुझे
तू बहुत देर से मिला है मुझे।

हमसफ़र चाहिए हुजूम नहीं
मुसाफ़िर ही काफ़िला है मुझे।

दिल धड़कता नहीं सुलगता है
वो जो ख़्वाहिश थी आबला है मुझे
*आबला=छाला, फफोला

लबकुशा हूँ तो इस यक़ीन के साथ
क़त्ल होने का हौसला है मुझे।
*लबकुशा=बात कहना

कौन जाने कि चाहतों में ‘फ़राज़’
क्या गँवाया है क्या मिला है मुझे।

~
'फ़राज़’

   April 17, 2013|e-kavya.blogspot.com
   Submitted by: Ashok Singh

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