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Saturday, November 29, 2014

लमहे भर को यह दुनिया

लमहे भर को यह दुनिया ज़ुल्म छोड़ देती है !
लम्हे भर को सब पत्थर मुस्कराने लगते हैं !

~ कैफ़ी आज़मी

   March 23, 2013 | e-kavya.blogspot.com
   Ashok Singh

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