जब -जब हमने प्रश्न उठाये
जब जब हमने प्रश्न उठाये
लगातार पत्थर ही पाए
क्यों घबराना प्रश्नों से
बिलकुल ही यह समझ न आये
न बना न देते उत्तर कोई
वार कटारी पर क्यों आये
प्रतिद्वंदिता रवि -कवी की
कौन किसे लघु -दीर्घ बताये
प्रश्नकर्ता की पत्री बांचे
क्या–क्या कारोबार चलाये
अवसर के औचित्य जांचें
कैसे पांडित्य दिखलाये
हर प्रश्न का उत्तर ही हो
हर कोई उसको दे भी पाए
यह तो बन गई मृग- तृष्णा
अब कैसे पथिक प्यास बुझाये
~ अमिता तिवारी
Apr 11, 2013|e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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