
गाहे-गाहे बस अब यही हो क्या?
तुम से मिलकर बहुत ख़ुशी हो क्या?
मिल रही हो बड़े तपाक के साथ,
मुझको यक्सर भुला चुकी हो क्या?
याद हैं अब भी अपने ख़्वाब तुम्हें,
मुझसे मिलकर उदास भी हो क्या?
बस मुझे यूँ ही इक ख़याल आया,
सोचती हो, तो सोचती हो क्या?
अब मिरी कोई ज़िंदगी ही नहीं,
अब भी तुम मेरी ज़िंदगी हो क्या?
क्या कहा इश्क़ जावेदानी है,
आख़िरी बार मिल रही हो क्या?
*जावेदानी=शाश्वत
~ जौन एलिया
(मशहूर फ़िल्मकार और शायर, कमाल अमरोही के भाई थे)
April 19, 2013 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh

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