बहुत आती है तेरी याद
जब भी आती है रुलाती है तेरी याद
रौनक तुझसे जहाँ में थी
जुज़ तेरे, सब है नाशाद
*जुज़=बगैर, नाशाद=नाखुश
सोगवार दिल है गुदाज़
उस पे ये बेजारी ये बेदाद
*सोगवार=उदास, गुदाज़=नरम, बेजारी=खिन्न या नाराज, बेदाद=नाइंसाफी
गुल-ए-इश्क खिलता एक बार
फिर न बसे दिल-ए-बर्बाद
*गुल-ए-इश्क=प्यार का परवान/फूल
आशिक सा सादा है कौन है
वो ताईर जिसका दिलबर है सय्याद
*ताईर=पंछी
सांस लेना भी है मुहाल
ज़ालिम है तेरी तरह ये बाद
*मुहाल=मुश्किल, बाद=हवा
सुकूत बनी मुज़्तरिब की जुबां
न बयां करनी उसे गम की रुदाद
*सुकूत=खामोशी, रुदाद=कहानी
~ 'मुज़्तरिब'
March 18, 2013 | e-kavya.blogspot.com
Ashok Singh
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