Disable Copy Text

Saturday, November 29, 2014

बहुत आती है तेरी याद



बहुत आती है तेरी याद
जब भी आती है रुलाती है तेरी याद

रौनक तुझसे जहाँ में थी
जुज़ तेरे, सब है नाशाद
*जुज़=बगैर, नाशाद=नाखुश

सोगवार दिल है गुदाज़
उस पे ये बेजारी ये बेदाद
*सोगवार=उदास, गुदाज़=नरम, बेजारी=खिन्न या नाराज, बेदाद=नाइंसाफी

गुल-ए-इश्क खिलता एक बार
फिर न बसे दिल-ए-बर्बाद
*गुल-ए-इश्क=प्यार का परवान/फूल

आशिक सा सादा है कौन है
वो ताईर जिसका दिलबर है सय्याद
*ताईर=पंछी

सांस लेना भी है मुहाल
ज़ालिम है तेरी तरह ये बाद
*मुहाल=मुश्किल, बाद=हवा

सुकूत बनी मुज़्तरिब की जुबां
न बयां करनी उसे गम की रुदाद
*सुकूत=खामोशी, रुदाद=कहानी

~ 'मुज़्तरिब'


   March 18, 2013 | e-kavya.blogspot.com
   Ashok Singh

No comments:

Post a Comment