Disable Copy Text

Friday, November 28, 2014

तुम्हारे होंठ...नमकीन हैं



तुम्हारे होंठ
पसीने की तरह नमकीन हैं

जैसे आवेग की घड़ियों में
आँसू
जैसे मज़दूर की सूखी
रोटी पर
एक चुटकी नमक

इसी स्वाद ने आज भी
बचाए रखा है
जीवन का संतुलन
इसी स्वाद से अक्सर
बौराता हूँ मैं

महुए की शराब पीने के बाद
जिस तरह बौराते हैं किसान
पहली बार प्रेम में डूबने के बाद
जिस तरह बौराती है नारी !

~ दिनकर कुमार


   April 30, 2013 | e-kavya.blogspot.com
   Submitted by: Ashok Singh

No comments:

Post a Comment