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Wednesday, November 26, 2014

जब प्यार नहीं है तो




जब प्यार नहीं है तो भुला क्यों नहीं देते?
ख़त किसलिए रखे हैं जला क्यों नहीं देते?

किस वास्ते लिखा है हथेली पे मेरा नाम
मैं हर्फ़ ग़लत हूँ तो मिटा क्यों नहीं देते?
*हर्फ़ =अक्षर

लिल्लाह शब-ओ-रोज़ की उलझन से निकालो
तुम मेरे नहीं हो तो बता क्यों नहीं देते?
*शब-ओ-रोज़=दिन रात

रह रह के न तड़पाओ ऐ बेदर्द मसीहा
हाथों से मुझे ज़हर पिला क्यों नहीं देते?

जब इसकी वफ़ाओं पे यकीं तुमको नहीं है
‘हसरत’ को निग़ाहों से गिरा क्यों नहीं देते?

~ हसरत 'जयपुरी'

   Jul 1, 2013

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