ले चला जान मेरी रूठ के जाना तेरा
ऐसे आने से तो बेहतर था न आना तेरा
अपने दिल को भी बताऊँ न ठिकाना तेरा
सब ने जाना जो पता एक ने जाना तेरा
तू जो ऐ ज़ुल्फ़ परेशान रहा करती है
किस के उजड़े हुए दिल में है ठिकाना तेरा
आरज़ू ही न रही सुबहे-वतन की मुझको
शामे-गुरबत है अजब वक़्त सुहाना तेरा
*सुबहे-वतन=देश की सुबह; शामे-गुरबत=परदेस की शाम
ये समझकर तुझे ऐ मौत लगा रक्खा है
काम आता है बुरे वक़्त में आना तेरा
अपनी आँखों में अभी कौंध गई बिजली सी
हम न समझे के ये आना है के जाना तेरा
तू ख़ुदा तो नहीं ऐ नासेह नादाँ मेरा
क्या ख़ता की जो कहा मैंने न माना तेरा
*नासेह=धर्मोपदेशक
दाग़ को यूँ वो मिटाते हैं, ये फ़रमाते हैं
तू बदल डाल हुआ नाम पुराना तेरा
~ दाग़ देहलवी
Jun 1, 2013 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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