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Thursday, November 20, 2014

कर रही है मुअत्तर हवा ए ईद



घर-घर को कर रही है मुअत्तर हवा ए ईद
सूझे न आज और तो कुछ भी सिवाए ईद

खुशहाल ज़िन्दगी हो, मुबारक हो हर घड़ी
सौग़ात है यही मेरी सब को बराए ईद

खुशियाँ बढें जहान में, रौशन हो क़ायनात
बेशक, यही रही है हमेशा नवा-ए ईद

अम्नो अमान, जज्बा ए इंसानियत, ख़ुलूस ,
इन सब का तर्जुमा है, यक़ीनन, सना ए ईद

~ दानिश भारती

July 29, 2014

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