
ये दायरे तेरी नश्वो-नुमा में हायल हैं
जरा तू सोच बदल, कैद से निकल तो सही
*नश्वो-नुमा=उगाव एवं विकास, हायल=बाधा
गवाँ न जान यूँ ही मंजिलों के चक्कर में
सफ़र का लुत्फ़ उठा, ज़ाविया बदल तो सही
*ज़ाविया=नज़रिया
कहीं वजूद ही तेरा न इसमें खो जाए
बड़ा हजूम है, इस शहर से निकल तो सही
~ मेहर गेरा
Jun 26, 2013
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