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Friday, November 21, 2014

आख़िर तज़ाद ज़िन्दगी में यूँ



आख़िर तज़ाद ज़िन्दगी में यूँ भी आ गए
फूलों के साथ ख़ार से रिश्ते जो भा गए
*तज़ाद=विपरीत परिस्थितियां

ऐसे भी दोस्त हैं कि जो मुश्किल के दौर में
सच्चाईयों से आँख मिलाना सिखा गए

जिस रोज़ जी में ठान लिया, जीत जायेंगे
यूँ तो हज़ार मर्तबा हम मात खा गए

आँखों में जज़्ब हो गया है इस तरह से तू
नींदों के साथ ख़्वाब भी दामन छुड़ा गए

नादानियों की नज्ऱ हुआ लम्ह-ए-विसाल
गुंचों से लिपटी तितलियाँ बच्चे उड़ा गए
*नज्ऱ=बुरी दृष्टि, लम्ह-ए-विसाल=मिलन का क्षण

तुम क्या गए कि जीने की वज्हें चली गयीं
वो कैफ़ो रंगो नूर वो साजो सदा गए

~ पवन कुमार

   Dec 13, 2013

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