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Thursday, November 20, 2014

मिलते हैं इस अदा से कि

मिलते हैं इस अदा से कि गोया ख़फ़ा नहीं,
क्या आपकी निगाह से हम आशना नहीं ।

*आशना=परिचित

~ हसरत मोहानी

   Jun 20, 2014 | e-kavya.blogspot.com 
   Submitted by: Ashok Singh

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