मिलते हैं इस अदा से कि गोया ख़फ़ा नहीं,
क्या आपकी निगाह से हम आशना नहीं ।
*आशना=परिचित
~ हसरत मोहानी
Jun 20, 2014 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
क्या आपकी निगाह से हम आशना नहीं ।
*आशना=परिचित
~ हसरत मोहानी
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