
लब पे आती है दुआ बनके तमन्ना मेरी
ज़िन्दगी शमा की सूरत हो ख़ुदाया मेरी
*शमा की सूरत=दीपक की भाँति
दूर दुनिया का मेरे दम से अँधेरा हो जाये
हर जगह मेरे चमकने से उजाला हो जाये
हो मेरे दम से यूँ ही मेरे वतन की ज़ीनत
जिस तरह फूल से होती है चमन की ज़ीनत
*ज़ीनत=शोभा
ज़िन्दगी हो मेरी परवाने की सूरत या रब
इल्म की शम्मा से हो मुझको मोहब्बत या रब
*इल्म की शमा=ज्ञान का दीपक
हो मेरा काम ग़रीबों की हिमायत करना
दर्द-मंदों से ज़इफ़ों से मोहब्बत करना
*हिमायत=सहानुभूति; जईफ= दुर्बल
मेरे अल्लाह बुराई से बचाना मुझको
नेक जो राह हो उस राह पे चलाना मुझको
~ इक़बाल
July 16, 2014
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