सजदे करूँ, सवाल करूँ, इल्तजा करूँ।
यूँ दे तो कायनात मेरे काम की नहीं।।
वो ख़ुद अता करे तो जहन्नुम भी है बहिश्त।
माँगी हुई निजात मेरे काम की नहीं।।
~ सीमाब अकबराबादी
Nov 7, 2014 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
यूँ दे तो कायनात मेरे काम की नहीं।।
वो ख़ुद अता करे तो जहन्नुम भी है बहिश्त।
माँगी हुई निजात मेरे काम की नहीं।।
~ सीमाब अकबराबादी
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