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Wednesday, November 26, 2014
ओ क़ासिद जब तू जाए
ओ क़ासिद जब तू जाए मेरे दिलदार के आगे,
अदब से सर झुकाना हुस्न की सरकार के आगे,
मगर मुँह से न कह पाए तो आँखों से बयाँ करना,
मेरे ग़म का हर एक क़िस्सा मेरे ग़म-ख्वार के आगे.
*क़ासिद=सन्देशवाहक
~ परवीन शाकिर
Jun 29, 2013
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