
अपनी ग़ज़लों में तेरा हुस्न सुनाऊँ आ जा
आ ग़म-ए-यार तुझे दिल में बसाऊँ आ जा।
बिन किए बात तुझे बात सुनाकर दिल की
तेरी आँखों में हया रंग सजाऊँ आ जा।
*हया=शर्म
अनछुए होंठ तेरे एक कली से छू कर
उसको मफ़हूम नज़ाक़त से मिलाऊँ आ जा।
*मफ़हूम=जानी-पहचानी
मैंने माना कि तू साक़ी है मैं मैकश तेरा
आज तू पी मैं तुझे जाम पिलाऊँ आ जा।
हीर 'वारिस' की सुनाऊँ मैं तुझे शाम ढले
तुझमें सोए हुए जज़्बों को जगाऊँ आ जा।
ऐं मेरे सीने में हर आन धड़कती ख़ुशबू
आ मेरे दिल में तुझे तुझसे मिलाऊँ आ जा।
~ फरहत शहजाद
Jun 29, 2013
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