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Wednesday, November 26, 2014

फूलों की तरह लब खोल कभी



फूलों की तरह लब खोल कभी
खुशबू की जुबां में बोल कभी !

अलफ़ाज़ परखता रहता है
आवाज़ हमारी तोल कभी !

खिड़की में कटी हैं सब रातें
कुछ चौरस और कुछ गोल कभी !

ये दिल भी यार ज़मीन की तरह
हो जाता है डावांडोल कभी !!

~ गुलज़ार

   Jun 3, 2013

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