ये दीवाने कभी पाबंदियों का गम नहीं लेंगे
गरेबां चाक जब तक कर न लेंगे, दम नहीं लेंगे
लहू देंगे तो लेंगे प्यार, मोती हम नहीं लेंगे
हमें फूलों के बदले फूल दो, शबनम नहीं लेंगे
मुहब्बत करने वाले भी अजब खुद्दार होते है
जिगर पर ज़ख्म लेंगे, ज़ख्म पर मरहम नहीं लेंगे
संवारें जा रहे हैं हम, तो उलझी जाती हैं ज़ुल्फें
तुम अपने जिम्मे लो, अब ये बखेड़ा हम नहीं लेंगे
~ कलीम आजिज़
Jun 4, 2013
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