
ख़ुद फूल ने भी होंठ किये अपने नीम-वा
चोरी तमाम रंग की तितली के सर न जाये
*नीम-वा=अध-खुले
ऐसा न हो कि लम्स बदन की सज़ा बने
जी फूल का, हवा की मुहब्बत से भर न जाये
*लम्स=स्पर्श
इस ख़ौफ़ से वो साथ निभाने के हक़ में है
खोकर मुझे ये लड़की कहीं दुख से मर न जाये
शिद्दत की नफ़रतों में सदा जिसने सांस ली
शिद्दत का प्यार पा के ख़ला में बिखर न जाये
*शिद्दत=उग्रता; ख़ला=शून्य
पलकों को उसकी अपने दुपट्टे से पोंछ दूँ
कल के सफ़र में आज की गर्द-ए-सफ़र न जाये
*गर्द-ए-सफ़र=सफर की थकान
मैं किस के हाथ भेजूँ उसे आज की दुआ
क़ासिद, हवा, सितारा, कोई उस के घर न जाये
*क़ासिद=संदेशा ले जाने वाला
~ परवीन शाकिर
Jul 5, 2013
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