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Thursday, November 20, 2014

जोग बिजोग की बातें झूठी



जोग बिजोग की बातें झूठी सब जी का बहलाना हो
फिर भी हम से जाते जाते, एक ग़ज़ल सुन जाना हो

सारी दुनिया अक़्ल की बैरी कौन यहाँ पे सयाना हो
नाहक़ नाम धरें सब हमको, दीवाना दीवाना हो

तुम ने तो इक रीत बना ली सुन लेना शरमाना हो
सब का एक न एक ठिकाना, अपना कौन ठिकाना हो

नगरी नगरी लाखों द्वारे, हर द्वारे पर लाख सुखी
लेकिन जब हम भूल चुके हैं, दामन का फैलाना हो

तेरे ये क्या जी में आई खींच लिये शरमाकर होंठ
हम को ज़हर पिलाने वाली, अमरित भी पिलवाना हो

हम भी झूठे तुम भी झूठे एक इसी का सच्चा नाम
जिससे दीपक जलना सीखा, परवाना मर जाना हो

सीधे मन को आन दबोचे मीठी बातें सुन्दर लोग
मीर, नज़ीर, कबीर' औ 'इंशा' का बस एक घराना हो

~ इब्ने इंशा

July 27, 2014

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