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Wednesday, November 19, 2014

ज़रुरत हो ना हो

ज़रुरत हो न हो, उससे भला कया फर्क पड़ता है
जिन्हें हो मांगना, वो हस्बे-आदत मांग लेते है।

*हस्बे-आदत=आदत के अनुसार

~ नुरीन तलअत

Nov 12, 2014

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