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Wednesday, November 19, 2014

आज में किसका साथ गहूं










आज मैं किसका साथ गहूं?

गगन में लेती घटा हिलोर
कल्पना नाचे बनकर मोर
भावना खींचे अपनी ओर
कहो, मैं किसके साथ बहू?

तैरती है अधरों पर प्यास
हृदय भी बैठा, मौन, उदास
श्वास में उद्वेलित उच्छवास
वेदना से म्रियमाण रहूं?
*म्रियमाण=मृतप्राय

नयन की भाषा है अनजान
विहग से उड़ते मेरे गान
बड़े ही असमंजस में प्राण
विवशता का अनुताप सहूं?

सांझ की वेला बहुत अधीर
थिरकता फिरता मंद समीर
घुटन भर भर जाती है पीर
कसकती किससे बात कहूं?

आज में किसका साथ गहूं,
कहो, मैं किसके साथ बहू?

  ~ 'गोरख नाथ'

     Nov 2, 2014

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