Disable Copy Text

Thursday, November 20, 2014

इक न इक जुल्मत से जब

इक न इक जुल्मत से जब बाबस्ता रहना है तो 'जोश'
ज़िन्दगी पर साया-ए-जुल्फ-ए-परीशां क्यूँ न हों

*जुल्मत=अंधकार; बाबस्ता=सम्बंधित; साया-ए-जुल्फे-परीशां=बिखरी हुई जुल्फों का साया

~ 'जोश' मलीहाबादी
   July 24, 2014

No comments:

Post a Comment