इक न इक जुल्मत से जब बाबस्ता रहना है तो 'जोश'
ज़िन्दगी पर साया-ए-जुल्फ-ए-परीशां क्यूँ न हों
*जुल्मत=अंधकार; बाबस्ता=सम्बंधित; साया-ए-जुल्फे-परीशां=बिखरी हुई जुल्फों का साया
~ 'जोश' मलीहाबादी
July 24, 2014
ज़िन्दगी पर साया-ए-जुल्फ-ए-परीशां क्यूँ न हों
*जुल्मत=अंधकार; बाबस्ता=सम्बंधित; साया-ए-जुल्फे-परीशां=बिखरी हुई जुल्फों का साया
~ 'जोश' मलीहाबादी
July 24, 2014
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