
तंग आ चुके हैं कशमकश-ए-ज़िंदगी से हम
ठुकरा न दें जहां को कहीं बेदिली से हम
*कशमकश=संभ्रम; बेदिली=अनिच्छा
मायूसी-ए-मआले-मोहब्बत न पूछिए
अपनों से पेश आये हैं बेगानगी से हम
*मायूसी-ए-मआले-मोहब्बत=प्रेम से मिली निराशा
लो, आज हमने तोड़ दिया रिश्ता-ए-उम्मीद
लो, अब कभी गिला न करेंगे, किसी से हम
उभरेंगे एक बार अभी दिल के बलबले
गो दब गए हैं बारे-गमे-ज़िन्दगी से हम
*बलबले=जोश, हिम्मत; बारे-गमे-ज़िन्दगी=जीवन के दुखों के बोझ
गर ज़िन्दगी में मिल गए हम इत्तिफाक से
पूछेंगे अपना हाल तेरी बेबसी से हम
*इत्तिफाक=संयोग
अल्लाह रे! फरेबे मशीयत कि आज तक
दुनिया के जुल्म सहते रहे खामोशी से हम
*फरेबे-मशीयत=सांसारिक छल कपट
~ साहिर लुधियानवी
July 25, 2014
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