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Thursday, November 20, 2014

तंग आ चुके हैं कशमकश-ए..



तंग आ चुके हैं कशमकश-ए-ज़िंदगी से हम
ठुकरा न दें जहां को कहीं बेदिली से हम
*कशमकश=संभ्रम; बेदिली=अनिच्छा

मायूसी-ए-मआले-मोहब्बत न पूछिए
अपनों से पेश आये हैं बेगानगी से हम
*मायूसी-ए-मआले-मोहब्बत=प्रेम से मिली निराशा

लो, आज हमने तोड़ दिया रिश्ता-ए-उम्मीद
लो, अब कभी गिला न करेंगे, किसी से हम

उभरेंगे एक बार अभी दिल के बलबले
गो दब गए हैं बारे-गमे-ज़िन्दगी से हम
*बलबले=जोश, हिम्मत; बारे-गमे-ज़िन्दगी=जीवन के दुखों के बोझ

गर ज़िन्दगी में मिल गए हम इत्तिफाक से
पूछेंगे अपना हाल तेरी बेबसी से हम
*इत्तिफाक=संयोग

अल्लाह रे! फरेबे मशीयत कि आज तक
दुनिया के जुल्म सहते रहे खामोशी से हम
*फरेबे-मशीयत=सांसारिक छल कपट

~ साहिर लुधियानवी


July 25, 2014

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