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Wednesday, November 26, 2014

बिखर जाऊँ कहकशाँ सी


बिखर जाऊँ कहकशाँ सी मैं तिरी कायनातों में
जहां फिर तू नज़र डाले, मैं ही मैं नज़र आऊँ ♥ !

*कहकशाँ=आकाशगंगा; कायनात=दुनिया

~  नामालूम

   June 20, 2013  | e-kavya.blogspot.com
   Submitted by: Ashok Singh

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