कुछ नदियों को बहते रहने की इजाजत चाहिए
कुछ चुप्पियों को कहते रहने की इजाज़त चाहिए
***
कितना मुश्किल है आदमी के लिए सच को झेल पाना
जहाँ देखो बेचारे आईने शिकार हो जाते हैं
***
मन जीत गया मन हार गया
हमने यही कारोबार किया
***
हंसे आंसू और मुस्करा पायें
जंगे -ज़िन्दगी जीत -जीत जाएँ
***
कुछ उद्बोधन
उलझ गया मन
कुछ संशोधन
सुलझ गया मन
~ अमिता तिवारी
No comments:
Post a Comment