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Wednesday, November 26, 2014

कुछ नदियों को बहते



कुछ नदियों को बहते रहने की इजाजत चाहिए
कुछ चुप्पियों को कहते रहने की इजाज़त चाहिए

                             ***

कितना मुश्किल है आदमी के लिए सच को झेल पाना
जहाँ देखो बेचारे आईने शिकार हो जाते हैं

                 ***

मन जीत गया मन हार गया
हमने यही कारोबार किया

                ***

हंसे आंसू और मुस्करा पायें
जंगे -ज़िन्दगी जीत -जीत जाएँ

   *** 

कुछ उद्बोधन
उलझ गया मन
कुछ संशोधन
सुलझ गया मन

~ अमिता तिवारी

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