दोनों जहान तेरी मोहब्बत मे हार के
वो जा रहा है कोई शबे-ग़म गुज़ार के
वीराँ है मयकदा ख़ुमो-सागर उदास हैं
तुम क्या गये कि रूठ गए दिन बहार के
*मयकदा=शराबघर; ख़ुमो-सागर=सुराही और प्याला
इक फ़ुर्सते-गुनाह मिली वो भी चार दिन
देखें हैं हमने हौसले परवरदिगार के
*परवरदिगार=ईश्वर
दुनिया ने तेरी याद से बेगानः कर दिया
तुम से भी दिलफ़रेब हैं ग़म रोज़गार के
भूले से मुस्कुरा तो दिये थे वो आज ’फ़ैज़’
मत पूछ वलवले दिले-नाकरकर्दे-कार के
*दिले-नाकरकर्दे-कार=तजुर्बा बगैर दिल
~ फ़ैज़ अहमद 'फ़ैज़'
June 17, 2013
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