वो जो चारागर नहीं है उसे ज़ख़्म क्यूँ दिखाओ
*चारागर=चिकित्सक; ख़ुशगुमानी=अच्छा पक्ष देखना
ये उदासियों के मौसम कहीं रायेगाँ न जायेँ
किसी ज़ख़्म को कुरेदो किसी दर्द को जगाओ
*रायेगाँ=व्यर्थ
वो कहानियाँ अधूरी जो न हो सकेंगी पूरी
उन्हें मैं भी क्यूँ सुनाऊँ उन्हें तुम भी क्यूँ सुनाओ
मेरे हमसफ़र पुराने मेरे अब भी मुन्तज़िर हैं
तुम्हें साथ छोड़ना है तो अभी से छोड़ जाओ
*मुन्तज़िर=आशान्वित
ये जुदाइयों के रस्ते बड़ी दूर तक गये हैं
जो गया वो फिर न लौटा मेरी बात मान जाओ
~ अहमद फ़राज़
Oct 26, 2014
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