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Wednesday, November 19, 2014

कल तलक जिस में रह न पाएंगे

कल तलक जिस में रह न पाएंगे
उसको अपना मकान कहते हैं

अपने बस में न अपने काबू में
जिसको अपनी ज़बान कहते हैं

हो ख़िज़ाँ और बहार का हमदम
तब उसे गुलसितान कहते हैं

उसके ज़ोर-ओ-सितम से हूँ वाक़िफ़
सब जिसे मेहरबान कहते हैं

~ अशरफ गिल

  August 27, 2014

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