कल तलक जिस में रह न पाएंगे
उसको अपना मकान कहते हैं
अपने बस में न अपने काबू में
जिसको अपनी ज़बान कहते हैं
हो ख़िज़ाँ और बहार का हमदम
तब उसे गुलसितान कहते हैं
उसके ज़ोर-ओ-सितम से हूँ वाक़िफ़
सब जिसे मेहरबान कहते हैं
~ अशरफ गिल
August 27, 2014
उसको अपना मकान कहते हैं
अपने बस में न अपने काबू में
जिसको अपनी ज़बान कहते हैं
हो ख़िज़ाँ और बहार का हमदम
तब उसे गुलसितान कहते हैं
उसके ज़ोर-ओ-सितम से हूँ वाक़िफ़
सब जिसे मेहरबान कहते हैं
~ अशरफ गिल
August 27, 2014
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