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Thursday, November 20, 2014

है इन्हीं दो नामों से हर एक अफ़्साने का नाम


 
है इन्हीं दो नामों से हर एक अफ़्साने का नाम
एक तेरा नाम है इक तेरे दीवाने का नाम

तुझ से रौशन है चराग़-ए-महफ़िल-ए-दार-ओ-रसन
मुझ से भी इस दौर में ज़िंदा है परवाने का नाम
*दार-ओ-रसन=सूली और फाँसी

तेरी ज़ुल्फ़-ओ-चश्म-ओ-लब का नाम है मेरी ग़ज़ल
तेरा अंदाज़-ए-सुख़न मेरे ग़ज़ल गाने का नाम
*ज़ुल्फ़-ओ-चश्म-ओ-लब=बाल, आँखें और होंट; अंदाज़-ए-सुख़न=शायरी का अंदाज़

चल उसी अंदाज़ से हाँ चल उसी अंदाज़ से
शोख़ी-ए-बाद-ए-सबा है तेरे इठलाने का नाम
*शोख़ी-ए-बाद-ए-सबा=सुबह की हवा का इतराना

मौज-ए-ख़ुशबू-ए-ग़ज़ल बे-रंगी-ए-रू-ए-ग़ज़ल
इक तिरे आने का है नाम इक तिरे जाने का नाम
*मौज-ए-ख़ुशबू-ए-ग़ज़ल=ग़ज़ल की ख़ुशबू का आनंद; शायरी का बिना रंग होना

ज़िंदा-ए-जावेद मेरी शाइ'री ने कर दिया
नाम तेरे गेसुओं का और मिरे शाने का नाम
*ज़िंदा-ए-जावेद=शाश्वत, अमर; गेसू=बाल, शाने=कंधा

फूल तोड़े कोई पत्थर हम को मारा जाए है
तू ने इतना कर दिया बदनाम दीवाने का नाम

हम हैं 'आजिज़' आबरू-ए-बज़्म-ए-यारान-ए-ग़ज़ल
अब इसी आईने से है आइना-ख़ाने का नाम
*आबरू-ए-बज़्म-ए-यारान-ए-ग़ज़ल=महफ़िल में जुडने वाले मित्रों का सम्मान; आइना-ख़ाना=शीशा घर

~ कलीम आजिज़


  Jul 10, 2014

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