अहा बुद्धिमानो की बस्ती
या तो चुप्पी या तकरार -
कोने कोने भूत बियाने
सारा घर सन्नाटेदार
सूचीबद्ध हुई दिनचर्या
मजबूरी रेखांकित है
चौके से चूल्हे की अनबन
हर भांडा आतंकित है
किसी खास दिन खास वजह से
कागज़ पर लिखते हैं प्यार
यों तो इस भुतहा बाखर में
कोई आएगा ही क्यों
जिस धन से खुशबू गायब है
उसे चुराएगा ही क्यों
फिर भी ताला है, कुत्ता है
और गोरखा चौकीदार
अपना कद ऊँचा रखने में
झुक कर चलना छूट गया
विज्ञापन से जोड़ा रिश्ता
अपना-पन से टूट गया
इतनी चीजें जुड़ीं कि हम भी
चीजों में हो गए शुमार
~ महेश अनघ
Jul 10, 2014
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