हर इक इंसान को इक दिन मोहब्बत आज़माती है
किसी से रूठ जाती है, किसी पर मुस्कुराती है
भला इंसान की तक़दीर का ये खेल है कैसा
किसी का कुछ नहीं जाता, किसी की जान जाती है
~ दिनेश रघुवंशी
Jun 22, 2014 | e-kavya.blogspot.com किसी से रूठ जाती है, किसी पर मुस्कुराती है
भला इंसान की तक़दीर का ये खेल है कैसा
किसी का कुछ नहीं जाता, किसी की जान जाती है
~ दिनेश रघुवंशी
Submitted by: Ashok Singh
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